Saturday 19 December 2015

चमत्कारिक भूतेश्वर नाथ शिवलिंग हर साल बढ़ती है इसकी लम्बाई

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मरोड़ा गांव के घने जंगल में भूतेश्वर नाथ के नाम से विख्यात एक विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग स्थित है| यह ज़मीं से लगभग 18 फ़ीट ऊँचा और 20 फ़ीट गोलाकार है, और सबसे बड़ी आश्चर्यजनक बात यह है की] यह हर साल अपने आप बढ़ता जा रहा है। राजस्व विभाग द्वारा हरवर्ष इसकी लम्बाई जाँची जाती है जो लगातार 6 से 8 इंच बढ़ती जा रही है।

इस शिवलिंग के बारे में यह कहा जाता हे की, सैकड़ों वर्ष पूर्व जमींदारी रिवाज के समय पारगांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहाँ पर खेती बाड़ी थी। जब भी शोभासिंह शाम क समय घूमने के लिए जाता था

उसे वहां खेत के पास एक विशेष आकृतीनुमा टाइल से शेर के दहाड़े और सांड के हुंकारने की आवाजे सुनाई देती थी। शोभासिंह ने कई बार यह आवाजे सुनने का बाद यह सारी बात उसके गांव वासियो को सुनाई।

शाम के समय गांव वासियों ने भी यह आवाजें कई बार सुनी और आवाज करने वाले शेर और सांड की आसपास के इलाके में खोज भी की] लेकिन दूर -दूर तक किसी भी जानवर के न मिलने पर लोगो की श्रद्धा उस टीले के प्रति और भी बढने लगी। और लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे पर गावं के लोग इस बारे में यह कहते की यह टीला पहले छोटे रूप में था। परन्तु इसकी ऊंचाई और गोलाई धीरे - धीरे बढती गई। जो आज भी जारी है, प्रकृति प्रदत जललहरी भी इस शिवलिंग में दिखाई देती हे जो धीरे - धीरे जमीं के ऊपर आती जा रही है, यही स्थान भूतेश्वरनाथ भकुरा महादेव के नाम से जाना जाता है। इस शिवलिंग का पौराणिक महत्व सन 1959 में गोरखपुर से प्रकाषित धार्मिक पत्रिका कल्याण के वार्षिक अंक के पृष्ट क्रमांक 408 में उल्लेखित है जिसमें इसे विश्व का एक अनोखा महान एवं विशाल शिवलिंग बताया गया है।
यह भी किंवदंती है कि इनकी पूजा बिंदनवागढ़ के छुरा नरेश के पूर्वजों द्वारा की जाती थी। दंत कथा है कि भगवान शंकर-पार्वती ऋषि मुनियों के आश्रमों में भ्रमण करने आए थे। तभी यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए।

घने जंगलों के बीच स्तिथ होने के बावजूद यहाँ पर सावन में कावड़ियों का हुजूम उमड़ता है। इसके अलावा शिवरात्री पर भी यहाँ विशाल मेला भरता है।





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