Wednesday 11 May 2016

अपने धर्म में बने रहे वनवासी इसलिए महिलाओं को सोने के लॉकेट बांटे

उज्जैन. भारत माता समन्वय शिविर में मंगलवार को 500 वनवासी महिलाओं को एक-एक ग्राम सोने के लॉकेट
दिए गए। ये वे महिलाएं हैं जिन्होंने कभी सोना नहीं पहना। ओम लिखे लॉकेट को देने के पीछे मकसद यह भी था कि यह अपने धर्म में बने रहें। सबसे पहले लीला बाई (झाबुआ) को लॉकेट निवृत्तमान शंकराचार्य सत्यमित्रानंद गिरि महाराज, जूना पीठाधीश्वर
महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने दिया। मंच से उतरने के बाद सबसे पहले उसने लॉकेट दो-तीन बार देखा। वह बोली यकीन नहीं हो रहा कि हमने भी सोना पहना। शेष महिलाओं को संतों व महाराज के भक्तों ने लॉकेट दिए। कार्यक्रम में झाबुआ, आलीराजपुर, थांदला, मेघनगर, दाहोद (गुजरात) आदि क्षेत्रों के 800 से ज्यादा वनवासी शामिल थे। सत्यमित्रानंदगिरि महाराज बोले मैंने देखा कि कई वनवासी ऐसे हैं, जिन्होंने कभी सोना ही नहीं पहना। सिंहस्थ से अच्छा मौका और क्या हो सकता है। इसलिए 500 महिलाओं को स्वर्ण दिया गया। अब 500 महिलाओं को बस्तर और झारखंड में भी स्वर्ण दिया जाएगा। मंच पर सीएम की प|ी साधनासिंह, स्वामी चिदानंदजी, महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंदजी, माखनसिंह, शिक्षा मंत्री पारस जैन मौजूद थे।

नाचे सत्यमित्रानंद महाराज

समापन पर वनवासियों ने तीर-कमान, तलवार, भाले लेकर नृत्य किया। भावविभोर सत्यमित्रानंदजी भी अपने आपको नहीं रोक सके। उन्होंने भी उनके साथ नृत्य किया।

अब तक खोटो ही पहनो, आज पहली बार असली पहनो

रमतू बाई (झाबुआ) को जब लॉकेट मिला तो चेहरे की खुशी अलग ही थी। कहा- 40 साल हो गए, अब तक खोटो ही पहनो, लेकिन आज पहली बार असली सोना पहनाे है।

बिजली बाई (बामनिया, गुजरात) ने कहा- वहां खेती करते हैं। सोना तो दूर की बात है। अब यह सोना मिला है जो जीवन की पूंजी है।

गुजरात से आई गीता गोहिल ने कहा पहली बार स्वर्ण पहना है। यह गुरुजी का आशीर्वाद है।
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