Wednesday 11 May 2016

जोगन बन सिंहस्थ में घूम रहीं अभिनेत्री मनीषा कोइराला, बोलीं- वक्त आने पर लूंगी संन्यास

भगवा वस्त्र। ललाट पर चंदन का तिलक। गले में रुद्राक्ष की माला। सिंहस्थ में ऐसा जोगी रूप फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला का दिखाई दे रहा है। यह रूप उन्होंने किसी फिल्म की शूटिंग के लिए नहीं, बल्कि आत्मशांति और परमात्मा की प्राप्ति के लिए धरा है। सौदागर, 1942 ए लव स्टोरी, मन, लज्जा सहित दर्जनों हिट फिल्म देने वाली मनीषा ने कहा- सिंहस्थ में पुण्य कमाने आईं हूं। वक्त आने पर संन्यास लूंगी।

कैंसर से जंग जीतने के बाद वापस फिल्मों में लौटीं मनीषा बड़नगर रोड पर पायलट बाबा के कैंप में रहकर वह शिप्रा स्नान से लेकर जप-तप और योग कर रही हैं। देसी-विदेशी साध्वियों के झुंड में बैठीं मनीषा को देख हर कोई उन्हें विदेश से आई साध्वी समझ रहा है। मंगलवार को भास्कर से चर्चा में मनीषा ने कहा ग्लैमर की दुनिया से हटकर वे कुछ दिन धर्म और आध्यात्म से जुड़कर
शांति का जीवन जीना चाहती हैं। मां सुषमा कोइराला के साथ उज्जैन आई मनीषा से जब सिंहस्थ में रुकने का सवाल किया तो वे बोलीं- जब तक मन कहेगा यहीं रहूंगी।यज्ञ में देंगी आहुतियां दो दिन पहले ही मनीषा कोइराला ने जोगन के भेष में विदेशी साध्वियों के साथ दत्त अखाड़ा घाट पर शिप्रा में सिंहस्थ का दूसरा शाही स्नान किया और अब वे पायलट बाबा के विश्वकल्याण महामृत्युंजय यज्ञ में आहुतियां देंगी। सिंहस्थ के लिए शूटिंग छोड़ आईमनीषा आने वाली फिल्म डियर माया की शिमला में शूटिंग कर रही थी। इस बीच सिंहस्थ मेला शुरू हो गया। इसलिए वे उज्जैन आ गई। 2012 में गर्भाशय कैंसर की बीमारी से पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद से उनकी धर्म और अध्यात्म के प्रति ऐसी रुचि बढ़ी कि वे किसी भी बड़े धार्मिक आयोजन में जाने से अपने आप को नहीं रोक पाती हैं। साध्वी चेतना के जरिए वे पायलट बाबा से जुड़ीं और इसके पहले हरिद्वार अर्द्ध कुंभ में भी शामिल हुई थीं। इलाज चला तो लोगों ने खूब दुआ की। मनीषा का मानना है इन प्रार्थनाओं से ही कैंसर जैसी बीमारी को मात दे दी।
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