Tuesday 17 May 2016

राम मंदिर संत बनाएंगे, सरकार का काम नहीं : शंकराचार्य स्वरूपानंद


शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण धर्माचार्य ही कर सकते हैं। राजनीतिक दल, सरकार या किसी संगठन के दायरे में ये काम नहीं आता। उनका लक्ष्य सत्ता है।
उन्होंने अपने इस बयान पर तर्क दिए कि राजनीतिक दल (भाजपा) के पास अधिकार नहीं है, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सामाजिक संगठन है और सरकार के पदों पर बैठने वाले धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेते हैं। वे इसलिए भी मंदिर नहीं बना पाएंगे क्यों कि उनका लक्ष्य सत्ता है, मंदिर नहीं। इसलिए मंदिर बनाने का काम केवल धर्माचार्य ही कर सकते हैं।

सिंहस्थ में राम जन्मभूमि मंदिर का मुद्दा धर्माचार्यों और संगठनों के बीच फिर गरमा रहा है। मंदिर मुद्दे भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विहिप मुखर है। सोमवार को शारदा व ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पंडाल में अभा साधु समाज के अधिवेशन में भी मंदिर निर्माण का मुद्दा छाया रहा।
मंच पर मौजूद सैकड़ों संतों के बीच शंकराचार्य ने ऐलान किया कि मंदिर का निर्माण शास्त्रोक्त पद्धति से धर्माचार्य ही करेंगे, क्योंकि उनका टारगेट मंदिर नहीं सत्ता है।

स्वामीजी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में भाजपा, संघ और केंद्र की मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा- वे पहले बोले रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, फिर बोले मंदिर हम कहीं ओर बनाएंगे और अब बोल रहे हैं मंदिर नहीं बनाएंगे।
उन्होंने कहा असलियत यही है कि वे मंदिर बना ही नहीं सकते। उनकी भावना भी नहीं है और टारगेट भी नहीं। उन्होंने अपने आप को किसी राजनीतिक एजेंडे और पार्टी से अलग होने का दावा करते हुए कहा कि हमारा यह सम्मेलन पहले से तय था। हमारा प्रयास किसी शासन को उलटना नहीं है। उन्होंने घोषणा की कि राम जन्मभूमि मंदिर वहीं बनेगा, शास्त्रोक्त पद्धति से बनेगा और गर्भगृह से निर्माण शुरू करेंगे। उन्होंने इसकी कोई तारीख घोषित नहीं की।

इसके पहले संघ प्रमुख डॉ.मोहन भागवत संतों के साथ इस मुद्दे पर मंथन कर चुके हैं। उन्होंने संतों के साथ सक्षी पक्षों पर बातचीत की थी। इस बैठक में संतों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मंदिर मुद्दे पर दिशा और गति पर संतोष जताया था। इधर विहिप से जुड़े संतों के बीच भी मंदिर मुद्दा चर्चा में है।
श्रीरामजन्म भूमि मंदिर न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदासजी और अन्य संतों ने भी सिंहस्थ में राममंदिर निर्माण का कार्यक्रम तय होने की बात कही है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा सोमवार को मंदिर निर्माण को लेकर साधु समाज के सम्मेलन में प्रस्ताव पारित करने से अब इस मुद्दे पर तीसरा गुट भी सामने आ गया है।

ये भी बोले शंकराचार्य
- स्कूल कॉलेजों में रामायण, गीता की शिक्षा दी जाना चाहिए। वहां भगवान श्रीराम के चित्र भी लगाए जाना चाहिए।
- युवा पीढ़ी का धर्म परिवर्तन कराने का सुनियोजित षडयंत्र किया जा रहा है।
- महात्मा गांधी ने रामराज्य की कल्पना की थी, आजाद हुए तो धर्मनिरपेक्ष राज्य मिला।
- मंदिर निर्माण के साथ वहां जाने वालों को बनाए रखने पर भी ध्यान देना होगा।
रामदेव का घी नहीं चलेगा
शंकराचार्य ने कहा कि महाकाल के शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए गाय के दूध और घी का ही उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा रामदेव का दूध-घी नहीं चलेगा। पहले हर घर में गाय पलती थी, अब गांवों में गोचर भूमि तक नहीं बची। स्मार्ट सिटी बनाने से कुत्ते पलेंगे गाय नहीं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम लिए बिना उन्होंने कहा हमें धोखा मत दो। दलित का साथ क्या वही खाना खाते हो जो वह रोज खाता है। यह नाटक बंद करो। कुंभ में सब समान होते हैं, कोई भेदभाव नहीं होता। यदि कुछ करना चाहते हो तो उन्हें इतना सक्षम बनाओ की वे भी रोज आपके स्तर का भोजन कर सकें।

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