15 दिन से रोज चक्कर काट रहा हूं। आपसे कई बार हाथ जोड़कर विनती की, लेकिन आप नहीं माने। हमें सड़क पर आकर चक्काजाम करना पड़े तभी काम करोगे क्या? शौचालय के नाम पर प्लास्टिक के बड़े डिब्बे रख दिए। लाइन अभी तक नहीं जोड़ी।
शौचालय की समस्या से नाराज चक्काजाम कर रहे सत्यानंद शिविर के मंहत ने बुधवार को ऐसी खरी- खरी अफसरों को सुनाई। मौके पर पहुंचे अफसर हाथ जोड़े साधुओं से चक्काजाम समाप्त करने की विनती करते रहे, साधु भी अड़े रहे और बोले कि जब तक काम
शुरू नहीं होगा, हम आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
महंत रणजीतानंद गिरी साधुओं के साथ सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। उनके हाथ में भाले और गदाएं भी थी। इसकी खबर लगते ही उपायुक्त एमपीएस अरोरा व अन्य अफसर साधुओं को मनाने पहुंच गए, लेकिन साधु उठने को राजी नहीं हुए।
अरोरा ने कहा कि ठेकेदार को कहा गया है। सिर्फ नल कनेक्शन करना है वो काम गुरुवार सुबह तक हो जाएगा, साधुओं ने कहा कि हम कई दिनों से बोल रहे थे। हमे विश्वास नहीं हो रहा। पहले काम शुरू करो, तभी हम उठेंगे।
आखिरकार कनेक्शन जोड़ने के बाद ही साधुओं ने आंदोलन समाप्त किया। मंहत रणजीतानंद ने बताया कि हमारे शिविर में रुके साधुओं को शौच के लिए परेशानी हो रही थी। न पानी का कनेक्शन जोड़ा और न ड्रेनेज का। कई बार बोलने के बाद अफसर काम करने को तैयार नहीं थे, आखिरकार हमें आंदोलन करना पड़ा।
More on: Simhastha ujjain 2016
शौचालय की समस्या से नाराज चक्काजाम कर रहे सत्यानंद शिविर के मंहत ने बुधवार को ऐसी खरी- खरी अफसरों को सुनाई। मौके पर पहुंचे अफसर हाथ जोड़े साधुओं से चक्काजाम समाप्त करने की विनती करते रहे, साधु भी अड़े रहे और बोले कि जब तक काम
शुरू नहीं होगा, हम आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
महंत रणजीतानंद गिरी साधुओं के साथ सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। उनके हाथ में भाले और गदाएं भी थी। इसकी खबर लगते ही उपायुक्त एमपीएस अरोरा व अन्य अफसर साधुओं को मनाने पहुंच गए, लेकिन साधु उठने को राजी नहीं हुए।
अरोरा ने कहा कि ठेकेदार को कहा गया है। सिर्फ नल कनेक्शन करना है वो काम गुरुवार सुबह तक हो जाएगा, साधुओं ने कहा कि हम कई दिनों से बोल रहे थे। हमे विश्वास नहीं हो रहा। पहले काम शुरू करो, तभी हम उठेंगे।
आखिरकार कनेक्शन जोड़ने के बाद ही साधुओं ने आंदोलन समाप्त किया। मंहत रणजीतानंद ने बताया कि हमारे शिविर में रुके साधुओं को शौच के लिए परेशानी हो रही थी। न पानी का कनेक्शन जोड़ा और न ड्रेनेज का। कई बार बोलने के बाद अफसर काम करने को तैयार नहीं थे, आखिरकार हमें आंदोलन करना पड़ा।
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