Wednesday 18 May 2016

अब चारों कुंभ नगर में बसेगा किन्नर अखाड़ा, महामंडलेश्वर ने की घोषणा


किन्नरों के दिल में उनके अखाड़े को मान्यता नहीं देने और साधु जमात से अलग रखने की टीस ऐसी लगी है कि वे अब चारों कुंभ नगरों में अपना वजूद स्थापित करने की जिद पर आ गए हैं। उज्जैन सिंहस्थ में मिली लोकप्रियता ने उन्हें इसके लिए ताकत दी है। उज्जैन में आश्रम बनाने के बाद अब हरिद्वार, इलाहाबाद और नासिक में भी अखाड़ा स्थापित करने के अभियान में जुट गए हैं। अखाड़ा चारों कुंभ नगरी में अपना आश्रम बनाकर साधु-संतों के अखाड़ों को चुनौती देने पर आमादा है जिन्होंने उन्हें मान्यता देने से इंकार कर दिया है।



साधु-संतों के सिंहस्थ मेले में किन्नरों ने पहली बार साधु वेश में अपनी आमद दी है। सिंहस्थ शुरू होने के छह महीने पहले से अखाड़े का ऐलान, पीठाधीश्वर बनाने और अखाड़े के देवता, निशान और झंडे तय हो जाने से एक तरफ जहां साधु-संतों में इन्हें लेकर प्रतिक्रिया थी वहीं नागरिक भी किन्नरों के इस आयोजन को देखने के लिए उत्सुक थे। किन्नरों ने प्रशासन से न केवल सिंहस्थ क्षेत्र में जमीन लेकर अपना कैंप लगाया बल्कि जानदार पेशवाई निकाल कर दर्शकों को भी अचंभित कर दिया।
किन्नरों की पेशवाई देखने उमड़े लोगों की भीड़ साधु-संतों की पेशवाई से कहीं ज्यादा थी। उनके अखाड़े को अभा अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता नहीं दिए जाने के बावजूद मेले में उनका वर्चस्व तब साबित हो गया जब नए बायपास पर स्थित उनका पंडाल देशभर से आने वाले यात्रियों के लिए आकर्षक का केंद्र बन गया। रोज उमड़ने वाले जनसैलाब ने किन्नरों को मेले में खास बना दिया है।

लोग कहें- उनसे किन्नर अच्छे

किन्नर अखाड़े के संस्थापक सूत्रधार ऋषि अजयदास का कहना है कि उज्जैन में हामूखेड़ी में आश्रम तैयार हो गया है। अब हरिद्वार, नासिक और इलाहाबाद में अखाड़े को बसाएंगे। अगले तीन साल में हरिद्वार में अखाड़े की स्थायी स्थापना हो जाएगी। सिंहस्थ खत्म होते ही हरिद्वार की राह लेंगे। किन्नर सब जगह से उपेक्षित होकर धर्म की शरण में आए हैं तो वहां भी उन्हें मान्यता के नाम पर अलग-थलग करने की कोशिश की। हमारे मन में यह टीस है। ईश्वर हमारे साथ है, जनता ने हमें हाथों हाथ लिया है। हम चाहते हैं लोग कहें कि उनसे किन्नर अच्छे हैं।

शाही जुलूस में दिखाएंगे ताकत

लोकप्रियता को अंतिम चरण पर पहुंचाने के लिए अब अखाड़े ने शाही स्नान के दिन पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर ली है। शाही जुलूस को भव्य बनाने के लिए हर किन्नर साधु को घोड़े पर सवार कराया जाएगा। इसके लिए 50 से ज्यादा घोड़ों का बंदोबस्त किया जा रहा है। महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के लिए ऊंट की सवारी की तैयारी है। जुलूस में बग्गियों, वाहन भी शामिल रहेंगे। इन पर किन्नर और उनके अनुयायी विराजमान होंगे। शाही जुलूस 21 मई को शाम 5 बजे शुरू होगा और शहर के प्रमुख मार्गों से होकर रामघाट स्थित गंधर्व घाट पहुंचेगा।

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