Friday 29 April 2016

अयोध्या में मंदिर तो राम ही बनाएंगे नेता तो एक मकान भी नहीं बना पाते


 सिंहस्थ मेले में आए महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंदजी महाराज अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा- मंदिर तो बन चुका है, बस उसे आकार देना है। यह काम भगवान राम ही करेंगे, जब उनकी इच्छा होगी मंदिर बन जाएगा। स्वामीजी ने नेताओं का नाम लिए बगैर कहा- ये तो एक मकान भी नहीं बना पाते हैं।

संतश्री ने आगे कहा- जिस तरह भगवत गीता ने आजादी दिलाई और उसके निमित्त बने गांधीजी, उसी तरह मंदिर निर्माण को लेकर सरकार को स्वयं राम प्रेरणा देंगे। कोई भी काम होने से पहले अंतरिक्ष में उसकी रूपरेखा तैयार हो जाती है। राम मंदिर निर्माण की भी तैयारी हो चुकी है। महाराजश्री हिंदी विषय में पीएचडी हैं। वे सागर महाविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। विवाह नहीं किया और सीधे संन्यास ले लिया। स्वामीजी के शिविर में कैलिफोर्निया से सुधा तोमर भी आईं हैं।

प्रत्येक समस्या का हल है यज्ञ

संतश्री ने कहा संसार की प्रत्येक समस्या का हल यज्ञ है। फिर चाहे वह प्रदूषण की समस्या हो या वैचारिक मतभेद की। वे अभी तक 22 राजसूर्य यज्ञ करा चुके हैं। इसमें 18 कटंगी, 2 मुलताई, 1 बैतूल और 1 रांची में करा चुके हैं। उज्जैन में भी यज्ञ कर रहे हैं। यह शांति, सुख, समृद्धि और प्राणीमात्र के कल्याण की कामना से किया जा रहा है।

नेत्रदान करना भी यज्ञ

प्रज्ञानंद महाराज ने कहा- यज्ञ का अर्थ केवल हवन कुंड में आहुतियां देना ही नहीं है, बल्कि उसकी सही परिभाषा है- ह्रदय की वेदी पर प्राणों की समिधा द्वारा ज्ञान की अग्नि को प्रज्ज्वलित कर मन की चंचलता की आहुतियां दें, यह सबसे बड़ा यज्ञ है। इसके तीन आधार है- त्याग, सेवा और परोपकार। नेत्रदान करना भी यज्ञ है। प्रभु का नाम जपना भी यज्ञ है।

पिछले सिंहस्थ से अच्छी व्यवस्था

स्वामीजी ने बताया वे 1992 और 2004 के सिंहस्थ में भी आ चुके हैं। इस बार 100 गुना अच्छी व्यवस्था है। प्रदेश सरकार ने अमेरिका तक प्रचार किया लेकिन लोग कम आए। अब जिन्हें महाकाल ने बुलाया, वे आ गए, जिन्हें नहीं बुलाया वे नहीं आए। सरकार को नारा देना था- चलो बुलावा आया है, महाकाल ने बुलाया है।

धर्म परिवर्तन बड़ी समस्या

संतश्री ने कहा- हमारी नजर में धर्म परिवर्तन वर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या है। ईसाई मिशनरियां तेजी से धर्म परिवर्तन में लगी हैं। वे मेडिटेशन और एजुकेशन के बहाने हमारे गरीब और सीधे-सादे हिंदू बंधुओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। हम संतों को भी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे आना होगा। हमें गुरुकुल और अस्पतालों की स्थापना करनी होगी।

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