Thursday 28 April 2016

सिंहस्थ में सेवा का जज्बा महिलाओं ने छोड़ा किचन


सिंहस्थ का उत्साह चरम पर है। चहुंओर अध्यात्म और श्रद्धा का संगम दिख रहा है। कहीं कथा चल है तो कहीं कीर्तन। साधु-संत लोगों को जीने की राह बता रहे हैं तो कुछ लोग सेवा की इबारत भी लिख रहे हैं। महिलाएं चूल्हा-चौका छोड़कर पुलिस के कंधे से कंधा मिलाकर व्यवस्था बनाने में सेवा दे रही हैं। एक ही परिवार के सास-ससुर से लेकर पोता-पोती भी पुलिस लिखी जैकेट पहनकर देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं को राह दिखने का काम कर रहे हैं।

ये लोग पुलिस विभाग से तनख्वाह पाने वाले नहीं बल्कि नगर सुरक्षा सेवा समिति के सदस्य हैं। सिंहस्थ में
सुरक्षा-व्यवस्था के लिए काफी पुलिस बल तैनात किया गया है। फिर भी करीब 5 करोड़ तीर्थयात्रियों के अनुमान के चलते नगर सुरक्षा सेवा समिति की सेवाएं भी ली जा रही हैं। 300 से अधिक ये सेवक बिना कोई वेतन लिए दो-तीन शिफ्टों में भीड़ प्रबंधन से लेकर ट्रैफिक व्यवस्था संभालने जैसे कठिन काम भी कर रहे हैं। खास बात यह है कि महिलाएं भी अपना घर-बार छोड़ यह महत्वपूर्ण दायित्व संभाल रही हैं।

सुकून मिलता है

अंकपात क्षेत्र निवासी 50 साल की विमला तिलवे चिलचिलाती धूप में खाकचौक पर ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रही हैं। वे कहती हैं सेवा के बदले कुछ मिलना या न मिलना मायने नहीं रखता, लेकिन इस महाकुंभ में अपनी भूमिका निभाने में जो सुकून मिल रहा है, वो कहीं बढ़कर है। चंदा चौपड़ा, उर्मिला बंडेरवाल, रिंकी बंडेरवाल, प्रेमलता वैष्णव, लीला रायकवार भी किचन छोड़, सेवा में जुटी हैं।

समिति सदस्य राजेश शर्मा ने बताया सभी सदस्य सुबह 8 से 2 और दोपहर 2 से रात 8 या इसके बाद भी जरूरत पड़ने पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संयोजक योगेश शुक्ला व सह संयोजक राहुल श्रीवास्तव के मुताबिक सभी सदस्य जरूरत पड़ने पर शिफ्ट से ज्यादा समय देने से भी पीछे नहीं हट रहे।

पूरा परिवार सिंहस्थ सेवा के नाम

राठौर परिवार की बात ही अलग है। 70 साल के रामचंद्र राठौर रामघाट पर सेवा दे रहे हैं। उनकी 65 वर्षीय पत्नी कांता राठौर भी उनके साथ सेवा में जुटी हैं। रामचंद्र के पुत्र नंदकिशोर और पुत्रवधु बबीता राठौर मंगलनाथ जोन में यह व्यवस्था संभाल रहे हैं। बहू टीम लीडर का दायित्व भी संभाल रही हैं। नंदकिशोर की बड़ी पुत्री नेहा और छोटा पुत्र राहुल भी उनके साथ रहकर सेवा की इबारत लिख रहे हैं।

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