Thursday 28 April 2016

त्रिकाल भवंता का समाधि ड्रामा खत्म परी अखाड़े से गिरफ्तार कर जेल भेजा


उज्जैन.गड्ढे में उतरकर समाधि लेने की धमकी देने वाली त्रिकाल भवंता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसकी एक शिष्या भी गिरफ्तार की गई है। पुलिस ने पूरी योजना के साथ अपनी कार्रवाई काे अंजाम दिया।
बजरंग दल व मीडिया से बचकर यह कार्रवाई की गई। दोनों को पहले थाना दर थाना घुमाया गया, उसके बाद जेल भेज दिया। इस गिरफ्तारी की पूरे मेले में खूब चर्चा रही। कोई साधु- संत उसके समर्थन में नहीं आया। पुलिस ने इस पूरे मामले की पुष्टि कर दी है। त्रिकाल भवंता शिष्या लक्ष्मी, बजरंग दल नेता धन्ना व अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

बताया जाता है कि बुधवार की दाेपहर 1 बजे के करीब परी अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवंता अपने कैंप में विश्राम कर रही थीं। एकमात्र शिष्या लक्ष्मी भी वहीं थीं। इसी बीच धूल उड़ाती हुई पुलिस की 15-20 गाड़ियां वहां पहुंची। इतनी गाड़ियां देख आसपास के कैंप में रुके लोग चौंक गए। उनके अनुसार पुलिस ने भवंता के कैंप को घेर लिया।
महिला पुलिस कैंप के भीतर पहुंची और भवंता को खींचकर बाहर ले आई। काफी देर तक वहां हुज्जत होती रही। शिष्या लक्ष्मी भी शोर मचाने लगी। उसे भी वाहन में बैठा लिया गया। इसी बीच बजरंग दल के धन्ना शर्मा भी वहां पहुंच गए थे। इसके पहले वह हस्तक्षेप करते पुलिस ने उन्हें अपने घेरे में ले लिया। यहां तक कि उनका मोबाइल व वाहन की चाबी भी अपने कब्जे में ले ली। एएसपी अमरेंद्रसिंह ने इशारा किया और गाड़ियां धूल उड़ाती हुई, नजरों से ओझल हो गई।
मौजूद लोगों ने कहा कि त्रिकाल भवंता का समाधि ड्रामा खत्म हो गया। कुछ देर बाद त्रिकाल की खबर मीडिया की सुर्खियां बन गईं। त्रिकाल व उसकी शिष्या को भैरवगढ़ जेल भेज दिया। परी अखाड़े से छह शिष्याएं पहले ही जा चुकी हैं। वे अव्यवस्थाओं व शाही स्नान नहीं करने से नाराज थीं। भवंता व शिष्या लक्ष्मी की गिरफ्तारी के बाद अखाड़े में कोई नहीं रहा।
रात में बनी गिरफ्तारी की योजना अधिकारियों का मानना था कि भवंता ने प्रशासन व पुलिस की नाक में दम कर रखा है। इतना बड़ा अखाड़ा भी नहीं है। अखाड़े में हजारों छोड़ सैकडों लोग भी नहीं आते हैं। बार-बार शिकायत आ रही थी कि त्रिकाल लोकप्रियता के लिए नाटक रच रही हैं। समाधि लेने की घटना में प्रशासन को परेशानी में डाल दिया। अधिकारी मंथन करते रहे कि आखिर क्या किया जाए। बताया जाता है कुछ संतों को विश्वास में लिया, योजना बनाई, उसके बाद त्रिकाल के कैंप में दबिश दी गई।
गोपनीयता के लिए नरवर थाने में रखा कार्रवाई को गोपनीय रखने के लिए गिरफ्तारी के बाद सीधे त्रिकाल भवंता व उनकी शिष्या को शहर से करीब 17 किमी दूर देवास रोड स्थित नरवर थाने में ले जाया गया। यहां कागजी कार्रवाई पूरी की गई। हालांकि नरवर थाना प्रभारी ओपी आर्य ने इससे इंकार किया है।
परी अखाड़ा स्कैन
केवल आधा-अधूरा पंडाल परी अखाड़े में आधा-अधूरा पंडाल है। साधारण कैंप बने हैं। किसी धार्मिक आयोजन की भी तैयारियां नहीं दिख रही है। अखाड़े का पूरा वैभव नहीं दिख रहा है। अखाड़े में यह सुविधाएं अखाड़े में समतलीकरण किया है।
पेयजल के लिए नल कनेक्शन व पानी की टंकी लगी है। कैंप के बाहर वाॅटर कूलर व प्याऊ है। बिजली कनेक्शन है। शौचालय बने हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सुविधाओं के बावजूद भवंता ने हंगामा क्यों किया।
नौंटकीबाज भवंता को पहले ही गिरफ्तार कर लेना था
गिरि जी का कहना है कि त्रिकाल भवंता की गिरफ्तारी में देरी कर दी। यह काम तो पहले ही हो जाना था। प्रशासन को बता दिया गया था कि वह ढोंगी हैं। कोई संत नहीं है और न पीठाधीश्वर। ऐसे लोग सिंहस्थ की मर्यादा अौर शालीनता प्रश्न चिह्न लगाते हैं।
बावजूद इसके प्रशासन ने उसे वे सारी सुविधाएं दी थी, जो किसी अखाड़े को दी जाती है। उनके कैंप में लोग आ-जा नहीं रहे थे। पब्लिसिटी पाने के लिए यह सारी नौटंकी की गई। कुल जमा छह-सात लोग उसके साथ में थे, जो थे वह भी छोड़कर जा चुके थे। सिर्फ एक चेली बची थी। जिला प्रशासन व मेला प्रशासन ढोंगी व फर्जी लोगों के खिलाफ सख्ती बरते, अखाड़ा परिषद प्रशासन का साथ देगी।

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