उज्जैन। रात में जब सड़कें सूनी हो जाती हैं और आनेजाने के साधन मिलना मुश्किल होता है, तब लाखों रुपए के टर्नओवर वाले कारोबार के मालिक अनाज व्यापारी सेवा के लिए निकल पड़ते हैं। मकसद होता है संतों, जरूरतमंदों की सेवा करना।वे रात 9 से सुबह 5 बजे तक ऑटो से संतों को मुफ्त में अपने गंतव्य तक पहुंचाते हैं। ये हैं उज्जैन में अनाज कारोबार करने वाले पवन जायसवाल। आम दिनों में ये अपने कारोबार में मशगूल रहते हैं। इनके कारोबार का रोजाना का टर्नओवर करीब 5 लाख रुपए है।
मगर पिछले एक सप्ताह से इन्होंने अपना व्यापार अपने सहयोगियों को सौंपकर संतों की सेवा में अपना समय देना तय किया है। पवन ने अपने एक परिचित का ऑटो महीनेभर के लिए किराये पर लिया है। वे संतों से किसी तरह का शुल्क नहीं लेते। कोई राहगीर भी मिल जाए तो उसे गंतव्य तक बिना पैसा लिए ही छोड़ते हैं।
सिंहस्थ में दूसरी बार कर रहे सेवा जायसवाल 2004 के सिंहस्थ में भी यह सेवा कार्य कर चुके हैं। पवन कहते हैं, पैसा तो जिंदगीभर कमाना है लेकिन दुआ कमाने का मौका कम ही मिल पाता है। शहर में देश-विदेश से संत, महात्मा आए हैं, ऐसे में यदि थोड़ी-सी मदद से किसी का आर्शीवाद मिल जाए तो इससे अच्छी क्या बात होगी। यदि कोई यात्री खुद ही पैसे देता है तो वे उसे जिस दोस्त से ऑटो किराये पर लिया है, उसे दे देते हैं। मंडी में इनकी दुकान हैं। जहां सिंहस्थ के दौरान पूरे समय ताला लगा रहेगा।
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मगर पिछले एक सप्ताह से इन्होंने अपना व्यापार अपने सहयोगियों को सौंपकर संतों की सेवा में अपना समय देना तय किया है। पवन ने अपने एक परिचित का ऑटो महीनेभर के लिए किराये पर लिया है। वे संतों से किसी तरह का शुल्क नहीं लेते। कोई राहगीर भी मिल जाए तो उसे गंतव्य तक बिना पैसा लिए ही छोड़ते हैं।
सिंहस्थ में दूसरी बार कर रहे सेवा जायसवाल 2004 के सिंहस्थ में भी यह सेवा कार्य कर चुके हैं। पवन कहते हैं, पैसा तो जिंदगीभर कमाना है लेकिन दुआ कमाने का मौका कम ही मिल पाता है। शहर में देश-विदेश से संत, महात्मा आए हैं, ऐसे में यदि थोड़ी-सी मदद से किसी का आर्शीवाद मिल जाए तो इससे अच्छी क्या बात होगी। यदि कोई यात्री खुद ही पैसे देता है तो वे उसे जिस दोस्त से ऑटो किराये पर लिया है, उसे दे देते हैं। मंडी में इनकी दुकान हैं। जहां सिंहस्थ के दौरान पूरे समय ताला लगा रहेगा।
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