उज्जैन/इंदौर.महाकाल मंदिर में भस्म आरती में मुर्दे की भस्म की जगह उपलों की भस्म का उपयोग करने पर दिल्ली से आए श्री कापालिक भैरवानंद सरस्वती ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा शास्त्र में विधान चिता भस्म का ही है। मुर्दे की ताजी भस्म से ही आरती होना चाहिए।
-यह विधान कहीं नहीं है कि उपलों की राख बनाकर भस्म आरती की जाए।
-यह गैर तांत्रिक, अधर्म और असहनीय है। यदि यही करना है तो फिर भस्म आरती का नाम बदलकर गोबर आरती कर देना चाहिए।
-उन्होंने कहा शास्त्रीय विधिविधान विश्व कल्याण के लिए होते हैं। व्यक्ति विशेष के लिए नहीं। पर यहां सब उलटा-सीधा चल रहा है।
-कापालिक भैरवानंद को राष्ट्रपति पुरस्कार, रामधारी सिंह दिनकर अवॉर्ड, हॉलैंड का ग्लोबल पीस अवार्ड एवं इंडोनेशिया सरकार द्वारा तांत्रिक क्रियायों के लिए पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।सनातन धर्म से जुड़े सभी लोग मेरा साथ दें|
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-उन्होंने कहा शास्त्रीय विधिविधान विश्व कल्याण के लिए होते हैं। व्यक्ति विशेष के लिए नहीं। पर यहां सब उलटा-सीधा चल रहा है।
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