Monday 25 April 2016

"पता नहीं कहां से आता है राशन, ठाकुरजी ही जानें "


टीम सिंहस्थ, उज्जैन। मंगलनाथ पुरानी पुलिया के पास टाटंबरी बाबा के शिविर में सिंहस्थ से पहले ही भोजन प्रसादी का दौर शुरू हो जाता है। हजारों भक्त रोज प्रसाद पाते हैं। ना कोई हिसाब, ना राशन की चिंता। राशन आता रहता है और भंडारा चलता रहता है। बाबा कहते हैं-पता नहीं कहां से रोज राशन आ जाता है। यह तो ठाकुरजी ही जानें।होशंगाबाद से आए हैं बाबा

होशंगाबाद से आए हैं बाबा

65 वर्षीय श्रीमहंत रामदासजी त्यागी टाटंबरी बाबा (वनखेड़ी, होशंगाबाद नर्मदातट आश्रम) तीसरी बार सिंहस्थ
में आए हैं। मंगलनाथ पुरानी पुलिया के पास बाबा का कैंप लगा है। पिछले सिंहस्थ में उनके शिविर में भंडारा सिंहस्थ के तीन माह पहले प्रारंभ हो गया था। इस बार चार महीने पहले शिविर लगाया है। बाबा कहते हैं, जब संतों के कैंप के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होती है तब बाहर से आने वाले संतों की सेवा भोजन प्रसादी से करते हैं।

सारी व्यवस्था संतों के हाथ

भंडारा सामग्री बनाने से लेकर भोजन प्रसादी कराने की सारी व्यवस्था कैंप के संत ही करते हैं। जब भोजन प्रसादी करने वालों की संख्या बढ़ जाती है तब भोजन प्रसादी भक्त व सेवक परोसते हैं। विशेष पर्व पर फरियाली की व्यवस्था की जाती है। बाबा की सादगी को देख भक्त भी दंग रह जाते हैं। वे अमूमन धूना के पास ही बैठते हैं। इस शिविर में आने वाला कोई भी वीआईपी नहीं। छोटे-बड़े सब एक।

एक नजर

प्रतिदिन 15 हजार लोगों का भंडारा।

15 से 20 संत स्वयं बनाते हैं सामग्री।

स्वादिष्ट कढ़ी बनाने के लिए 12 घंटे तक उबालते हैं।

यह है मीनू

सुबह दाल, चावल, पूरी

शाम को साग, पूरी, खिचड़ी।

हर दो दिन में स्वादिष्ट कढ़ी।

एक मीठा जिसमें बूंदी के लड्डू, गुलाब जामुन व

दही बड़ा।

व्रत, पर्व पर फरियाली

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