उज्जैन। ढोल-ताशों पर करतब दिखाते हुए थिरकते नागा साधु, गाजे-बाजे से आगे बढ़ता काफिला, हर-हर महादेव से गूंजता वातावरण व भजनों पर झूमते श्रद्धालु। शुक्रवार अलसुबह जब अखाड़ों
के साधु-संत अपनी-अपनी छावनी से शिप्रा में डूबकी लगाने के लिए निकले तो कुछ ऐसा ही नजारा था। सुबह साढ़े पांच बजे तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा कैंप से साधु-संत बग्घियों में सवार होकर स्नान के लिए निकले। बैंड-बाजों व ढोल-नगाड़ों के साथ बग्घ्ाियों व ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में साधु-संत सवार थे जबकि नागा साधु कतारबद्ध होकर चल रहे थे।
के साधु-संत अपनी-अपनी छावनी से शिप्रा में डूबकी लगाने के लिए निकले तो कुछ ऐसा ही नजारा था। सुबह साढ़े पांच बजे तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा कैंप से साधु-संत बग्घियों में सवार होकर स्नान के लिए निकले। बैंड-बाजों व ढोल-नगाड़ों के साथ बग्घ्ाियों व ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में साधु-संत सवार थे जबकि नागा साधु कतारबद्ध होकर चल रहे थे।
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